दूसरा जन्म मिले या ना मिले...मरने के बाद स्वर्ग में जाएं या नर्क
में...लेकिन एक बात तो तय है कि हर हाल में इस ज़िंदगी को खुशनुमा बनाना
है...अपना हो या बेगाना...किसी को भी इतना अधिकार मत दो कि वो हमें दुखी कर
सके...क्योंकि कोई हमें तभी तक परेशान कर सकता है जब तक हम परेशान होना
चाहते हैं...यकीन मानिए जिस दिन से हम ये ठान लेंगे कि हमें ज़िंदगी का हर
इम्तेहान मुस्कुराते हुए पास करना है..उस दिन से हमें खुश रहने से दुनिया
की कोई भी ताकत रोक नहीं पाएगी...
अपने आप से बात करते समय, बेहद सावधानी बरतें..क्योंकि हमारा आगे आने वाला वक्त काफी हद तक, इस बात पर निर्भर करता है कि हम क्या सोचते हैं..या फिर खुद से कैसी बातें करते हैं..हमारे साथ कोई भी बात, होती तो एक बार है, लेकिन हम लगातार उसी के बारे में सोचते रहते हैं..और मन ही मन, उन्ही पलों को, हर समय जीते रहते हैं जिनसे हमें चोट पहुंचती है..बार-बार ऐसी बातों को याद करने से, हमारा दिल इतना छलनी हो जाता है कि सारा आत्मविश्वास, रिस-रिस कर बह जाता है..फिर हमें कोई भी काम करने में डर लगता है..भरोसा ही नहीं होता कि हम कुछ, कर भी पाएंगे या नहीं..तरह-तरह की आशंकाएं सताने लगती हैं..इन सबका नतीजा ये होता है कि अगर कोई अनहोनी, नहीं भी होने वाली होती है, तो वो होने लगती है..गलत बातें सोच-सोच कर, हम अपने ही दुर्भाग्य पर मोहर लगा देते हैं..इसलिए वही सोचो, जो आप भविष्य में होते हुए देखना चाहते हो..वैसे भी न्यौता, सुख को दिया जाता है..दुख को नहीं..तो फिर तैयारी भी खुशियों की ही करनी चाहिए..
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