मन करता है कि तुम्हे कंधे पर बिठाऊं
गांव ले जाऊं और गांव के पास लगने वाला मेला
तुम्हे घूम-घूम कर घुमाऊं
खिलौने दिलाऊं और तुम्हारे साथ खुद खेलूं
कभी हाथी बन जाऊं, कभी घोड़ा, कभी ऊंट
तुम्हे अपनी पीठ पर बिठा कर
दुनिया जहान दिखाऊं
तुम्हे गुदगुदाऊं, तुम खिलखिलाओ
और मैं खेत में खड़ी किसी फसल सा जी भर मुस्कराऊं
गांव ले जाऊं और गांव के पास लगने वाला मेला
तुम्हे घूम-घूम कर घुमाऊं
खिलौने दिलाऊं और तुम्हारे साथ खुद खेलूं
कभी हाथी बन जाऊं, कभी घोड़ा, कभी ऊंट
तुम्हे अपनी पीठ पर बिठा कर
दुनिया जहान दिखाऊं
तुम्हे गुदगुदाऊं, तुम खिलखिलाओ
और मैं खेत में खड़ी किसी फसल सा जी भर मुस्कराऊं
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