ज़िंदगी से गुलाब वाली मोहब्बत करो...जिस तरह से मिट्टी और कांटों के बीच रहकर भी गुलाब खिलता है और अपनी खुशबू बिखेरता है...उसी तरह से हिकारत, नफ़रत और दुख-दर्द के बीच हर रोज़ गुलाब की तरह खिलो...और इंसानियत की खुशबू बिखेरो...इसी में जीवन की शालीनता (Grace) है...इतिहास गवाह है जिसने भी अपनी ज़िंदगी शालीनता के साथ (with Grace) जी...वो मरकर भी अमर हो गया...तो आम नहीं खास बनो...लोगों के दिल में रहो...ईंट-सीमेंट के घर में तो सभी रहा करते हैं...अंशुप्रिया प्रसाद
https://www.facebook.com/AnshupriyaPrasadjournalist/
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