हर सुबह की शुरुआत एक प्यारी सी मुस्कान से हो..नींद खुलते ही किसी और को
नहीं बल्कि अपने आपको एक बड़ी सी स्माइल दो..क्योंकि इस दुनिया में आपसे
बेहतर इंसान कोई नहीं है..सिर्फ 2 मिनट..मुस्कुराओ और पूरे शरीर में लाखों
स्माइलीज़ की गुदगुदी महसूस करो..दिनभर खुश रहने का इससे बेहतर कोई और क्रेश कोर्स
नहीं है..दर्द से सीना छलनी हो तब भी मुस्कुराओ..आंसुओं से आंख नम हो तब भी
मुस्कुराओ..क्योंकि ये लम्हा, जो इस पल हम जी रहे हैं..वो दोबारा कभी नहीं
आएगा..तो क्यों ना इसे इतना खुशगवार बना दें कि दुख-दर्द का नामोनिशान मिट
जाए..वैसे भी कहते हैं ज़िंदगी, ज़िंदादिली का नाम है..मुर्दा-दिल क्या
ख़ाक जिया करते हैं.. Anshupriya Prasad
अपने आप से बात करते समय, बेहद सावधानी बरतें..क्योंकि हमारा आगे आने वाला वक्त काफी हद तक, इस बात पर निर्भर करता है कि हम क्या सोचते हैं..या फिर खुद से कैसी बातें करते हैं..हमारे साथ कोई भी बात, होती तो एक बार है, लेकिन हम लगातार उसी के बारे में सोचते रहते हैं..और मन ही मन, उन्ही पलों को, हर समय जीते रहते हैं जिनसे हमें चोट पहुंचती है..बार-बार ऐसी बातों को याद करने से, हमारा दिल इतना छलनी हो जाता है कि सारा आत्मविश्वास, रिस-रिस कर बह जाता है..फिर हमें कोई भी काम करने में डर लगता है..भरोसा ही नहीं होता कि हम कुछ, कर भी पाएंगे या नहीं..तरह-तरह की आशंकाएं सताने लगती हैं..इन सबका नतीजा ये होता है कि अगर कोई अनहोनी, नहीं भी होने वाली होती है, तो वो होने लगती है..गलत बातें सोच-सोच कर, हम अपने ही दुर्भाग्य पर मोहर लगा देते हैं..इसलिए वही सोचो, जो आप भविष्य में होते हुए देखना चाहते हो..वैसे भी न्यौता, सुख को दिया जाता है..दुख को नहीं..तो फिर तैयारी भी खुशियों की ही करनी चाहिए..
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