शाम को तुम्हारी तस्वीर रोज़ एक दफा देखती हूं तो सुकून ऐसा मानो दिन भर
सड़कों पर भटकने के बाद किसी ने दोनों पैरों को गर्म कुनकुने पानी में डाल
दिया हो, सारी परेशानियां, सारे के सारे फिक्र, चंद लम्हात में काफूर हो
जाते हैं...और बच जाता है तो तुम्हारी मोहब्बत का वो एहसास...
वैसे तुम्हारे साथ हमेशा न रह पाने का मलाल तो है, लेकिन इस बात का सुकून भी कि मैं तो कब का तुम्हारी आंखों में अपना आशियाना बना कर, तुम्हारी परछाइयों में शामिल हो चुकी हूं...(नाज़)
वैसे तुम्हारे साथ हमेशा न रह पाने का मलाल तो है, लेकिन इस बात का सुकून भी कि मैं तो कब का तुम्हारी आंखों में अपना आशियाना बना कर, तुम्हारी परछाइयों में शामिल हो चुकी हूं...(नाज़)
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