कभी-कभी गम इतने हसीन होते हैं कि हम उन्हें अपने सीने से लगा लेते हैं..फिर तन्हाइयां अच्छी लगने लगती हैं.. और जी करता है कि आंसुओं में डूबकर अपना वजूद मिटा दें..धीरे-धीरे यही दर्द फितरत बन जाता है..और हमें इंसान से ज्यादा गम से मोहब्बत होने लगती है..लेकिन जनाब, ये तो एक अंधी सुरंग है..इसमें जितना आगे बढ़ते जाओगे उतना ही अंधेरा बढ़ता जाएगा..और ज़िंदगी बेकार चली जाएगी..इसलिए मीठे-मीठे दर्द की बेड़ियों को तोड़ना होगा..इसके बाद भले ही ज़िंदगी पहले जैसी ना रह जाए..लेकिन नई शुरुआत होगी तो उसके बेहतर होने की उम्मीद जगेगी..क्योंकि गम चाहें अपनों से मिले या गैरों से..ये हमें ज़िंदगी जीने की नई राह दिखाते हैं..अपने आपको आजमाने का मौका देते हैं..इसलिए गम, अच्छे हैं..जितना तड़पोगे, उतना निखरोगे..और बेहतर इंसान बनोगे...बस, इन्हें आगे बढ़ने का जरिया बनाते चलो... Anshupriya Prasad
Let's bring out the Hero in you..