हम
सपने कुछ और देखते हैं और हो कुछ और जाता है..जब ज़िंदगी की असलियत सामने
आती है तो तगड़ा झटका लगता है..सारी इच्छाएं और सपने अधूरे रह गए लगते
हैं..ऐसे में क्या करें..क्या अपनी हार मानकर बैठ जाएं और ज़िंदगी से मुंह
फेर लें..नहीं..बिल्कुल नहीं..ऐसी हालत में अपने आपको और तपाएं..अपने अंदर
ज़िंदगी की कसौटी पर खरा उतरने की अलख जगाएं..और हां..सपने देखना कभी बंद
नहीं करें..क्योंकि सपने और उम्मीद ही हमें ज़िंदा
रखते हैं..और ज़िंदा लोगों की बस्ती में मुर्दों का क्या काम..तो अपने दिल
के बिखरे हुए टुकड़ों को जोड़ें..दिमाग को रास्ते पर लाएं..और एक वीर
योद्धा की तरह नई उम्मीदों और सपनों के साथ ज़िंदगी की जंग जीतने निकल
पड़ें..जितनी बार गिरें, उतनी बार दोगुने जोश से आगे बढ़ें..क्योंकि हर हाल
में ये ज़िंदगी तो जीनी है..और बिना हारे, बिना रुके जीनी है.. Anshupriya Prasad
मोहब्बत करने वाले रोज़ थोड़ा-थोड़ा मरा करते हैं..क्योंकि किसी और को अपना हिस्सा बनाने के लिए खुद को मिटाना पड़ता है..तभी दूसरे के लिए जगह बनती है..अपना वजूद जितना मिटेगा, उतना ही प्यार बढ़ता चला जाएगा..ज़रूरी नहीं है कि जितनी प्रीत आप कर सकते हो, उतनी वापस भी मिल जाए..क्योंकि प्रेम तो केवल वही निभा सकते हैं जिन्हें दर्द के नूर में तप-तप कर संवरना आता है..प्रेमी अगर मिल जाएं तो 'राधा-कृष्ण'..और ना मिल पाएं तो 'मीरा-कृष्ण'..
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