क्या हमारी ज़िंदगी में सब कुछ पहले से तय है..हम कुछ नहीं कर सकते...अगर
ऐसा होता तो हमें अपना रास्ता चुनने की आज़ादी नहीं होती...किसी भी हालात
में हम कैसे रियेक्ट करें, ये हमारे ऊपर है...हम किसी भी चीज को इतना खराब
कर सकते हैं कि कोई उम्मीद ही ना रहे और इतना अच्छा भी कर सकते हैं कि
मंज़िल साफ-साफ दिखाई देने लगे...हर इंसान में इतनी ताकत है कि वो अपना
भाग्य खुद बना सके...वैसे भी इस बात की क्या गारंटी है कि किस्मत खराब भी
होती है...कोई आकाशवाणी तो हुई नहीं आज तक...दो-चार बार हार का
मुंह क्या देख लिया खुद से, खुदाई से खफ़ा हो गए...जब हर समय बुझे-बुझे
रहोगे...कोशिश ही नहीं करोगे...तो आगे कैसे बढ़़ोगे...ज़मीन में ऐसे उगो कि
तूफान भी हिला नहीं सके...क्योंकि असफलता मिलती ही इसलिए है कि उन चीज़ों
को पाने का मज़ा बढ़ जाए जो उम्मीद से भी ज्यादा खूबसूरत हैं...इसलिए रुकना
नहीं...अपने दमखम से वो हासिल करो जिस पर हमारा नाम उसी दिन लिख दिया गया
था जिस दिन हमने उन्हें पाने का ख्वाब देखा था... Anshupriya Prasad
अपने आप से बात करते समय, बेहद सावधानी बरतें..क्योंकि हमारा आगे आने वाला वक्त काफी हद तक, इस बात पर निर्भर करता है कि हम क्या सोचते हैं..या फिर खुद से कैसी बातें करते हैं..हमारे साथ कोई भी बात, होती तो एक बार है, लेकिन हम लगातार उसी के बारे में सोचते रहते हैं..और मन ही मन, उन्ही पलों को, हर समय जीते रहते हैं जिनसे हमें चोट पहुंचती है..बार-बार ऐसी बातों को याद करने से, हमारा दिल इतना छलनी हो जाता है कि सारा आत्मविश्वास, रिस-रिस कर बह जाता है..फिर हमें कोई भी काम करने में डर लगता है..भरोसा ही नहीं होता कि हम कुछ, कर भी पाएंगे या नहीं..तरह-तरह की आशंकाएं सताने लगती हैं..इन सबका नतीजा ये होता है कि अगर कोई अनहोनी, नहीं भी होने वाली होती है, तो वो होने लगती है..गलत बातें सोच-सोच कर, हम अपने ही दुर्भाग्य पर मोहर लगा देते हैं..इसलिए वही सोचो, जो आप भविष्य में होते हुए देखना चाहते हो..वैसे भी न्यौता, सुख को दिया जाता है..दुख को नहीं..तो फिर तैयारी भी खुशियों की ही करनी चाहिए..
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