अभी
तक जो होना था वो हुआ लेकिन अब होगा वही, जो मैं चाहती हूं..क्योंकि किसी
की बददुआओं में उतना असर नहीं जितना मेरी दुआओं में है..इसलिए ए दिल, तू डर
मत..जी भर के सपने देख..वैसे भी सपने तो कभी भेदभाव नहीं करते तो फिर हम
उन्हे किसी और के लिए क्यों छोड़ देते हैं..अगर किसी सपने ने हमारी पलकों
पर दस्तक दी है तो वो हमारे लिए ही बना है..बस, दिल में उसे साकार करने का
हौसला और धीरज रखो..ये जो सूरज है ना, पूरी दुनिया को जो जगमगाता है..एक
दिन हमारे आसमान में भी चमकेगा..और उस दिन हमें ये अहसास होगा कि सब कुछ
कितना आसान था..हम बेकार ही डर-डर के जी रहे थे.. Anshupriya Prasad
अपने आप से बात करते समय, बेहद सावधानी बरतें..क्योंकि हमारा आगे आने वाला वक्त काफी हद तक, इस बात पर निर्भर करता है कि हम क्या सोचते हैं..या फिर खुद से कैसी बातें करते हैं..हमारे साथ कोई भी बात, होती तो एक बार है, लेकिन हम लगातार उसी के बारे में सोचते रहते हैं..और मन ही मन, उन्ही पलों को, हर समय जीते रहते हैं जिनसे हमें चोट पहुंचती है..बार-बार ऐसी बातों को याद करने से, हमारा दिल इतना छलनी हो जाता है कि सारा आत्मविश्वास, रिस-रिस कर बह जाता है..फिर हमें कोई भी काम करने में डर लगता है..भरोसा ही नहीं होता कि हम कुछ, कर भी पाएंगे या नहीं..तरह-तरह की आशंकाएं सताने लगती हैं..इन सबका नतीजा ये होता है कि अगर कोई अनहोनी, नहीं भी होने वाली होती है, तो वो होने लगती है..गलत बातें सोच-सोच कर, हम अपने ही दुर्भाग्य पर मोहर लगा देते हैं..इसलिए वही सोचो, जो आप भविष्य में होते हुए देखना चाहते हो..वैसे भी न्यौता, सुख को दिया जाता है..दुख को नहीं..तो फिर तैयारी भी खुशियों की ही करनी चाहिए..
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