अगर आप सोचने, समझने और चुनाव करने के काबिल हैं तो आप अपने हालात बदलने की
भी क्षमता रखते हैं..लेकिन अगर हम अपनी बेहतरी की दिशा में लगातार कोशिश
नहीं करते और जैसा चल रहा है वैसा चलने देते हैं तो अपनी बदहाली के लिए भी
हम खुद ही ज़िम्मेदार होंगे..क्योंकि जितने भी लोग फर्श से अर्श तक पहुंचते
हैं..उनके अंदर एक जुनून होता है..अपने आपको साबित करने का..ऐसे लोग बड़ी
से बड़ी कठिनाई से भी हताश नहीं होते..उन्हे तो बस अर्जुन की तरह सिर्फ
मछली की आंख दिखाई देती है जिसका निशाना उन्हे लगाना है..तो जब कुछ लोग
अपने सपनो के पंख फैलाकर आसमान छू सकते हैं तो हम क्यों ज़मीन पर फड़फड़ाते
रह जाएं..चलो, एक बार उड़ने की कोशिश तो करें.. +anshupriya prasad
अपने आप से बात करते समय, बेहद सावधानी बरतें..क्योंकि हमारा आगे आने वाला वक्त काफी हद तक, इस बात पर निर्भर करता है कि हम क्या सोचते हैं..या फिर खुद से कैसी बातें करते हैं..हमारे साथ कोई भी बात, होती तो एक बार है, लेकिन हम लगातार उसी के बारे में सोचते रहते हैं..और मन ही मन, उन्ही पलों को, हर समय जीते रहते हैं जिनसे हमें चोट पहुंचती है..बार-बार ऐसी बातों को याद करने से, हमारा दिल इतना छलनी हो जाता है कि सारा आत्मविश्वास, रिस-रिस कर बह जाता है..फिर हमें कोई भी काम करने में डर लगता है..भरोसा ही नहीं होता कि हम कुछ, कर भी पाएंगे या नहीं..तरह-तरह की आशंकाएं सताने लगती हैं..इन सबका नतीजा ये होता है कि अगर कोई अनहोनी, नहीं भी होने वाली होती है, तो वो होने लगती है..गलत बातें सोच-सोच कर, हम अपने ही दुर्भाग्य पर मोहर लगा देते हैं..इसलिए वही सोचो, जो आप भविष्य में होते हुए देखना चाहते हो..वैसे भी न्यौता, सुख को दिया जाता है..दुख को नहीं..तो फिर तैयारी भी खुशियों की ही करनी चाहिए..
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