जब तक पीड़ा नहीं होगी..तड़प नहीं होगी..तब तक ज़िंदगी को बेहतर बनाने की अलख कैसे जगेगी..कौन खुशियों का मोल जान पाएगा..कैसे सुख की अभिलाषा होगी..ये दुख ही है जो हमें तपाकर सही रास्ते पर चलना सिखाता है..ये दर्द ही है जो हमें अंदर से ताकत देता है..इसलिए आंसू बहते हैं तो बहने दो..छटपटाहट होती है तो होने दो..कदम, आगे बढ़ते रहें..निगाहें, लक्ष्य से हटे नहीं..और सीना, स्वाभिमान से धधकता रहे.. +anshupriya prasad
मोहब्बत करने वाले रोज़ थोड़ा-थोड़ा मरा करते हैं..क्योंकि किसी और को अपना हिस्सा बनाने के लिए खुद को मिटाना पड़ता है..तभी दूसरे के लिए जगह बनती है..अपना वजूद जितना मिटेगा, उतना ही प्यार बढ़ता चला जाएगा..ज़रूरी नहीं है कि जितनी प्रीत आप कर सकते हो, उतनी वापस भी मिल जाए..क्योंकि प्रेम तो केवल वही निभा सकते हैं जिन्हें दर्द के नूर में तप-तप कर संवरना आता है..प्रेमी अगर मिल जाएं तो 'राधा-कृष्ण'..और ना मिल पाएं तो 'मीरा-कृष्ण'..
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