जिस
तरह से प्यार से रिश्ते बनते हैं उसी तरह नफ़रत से भी अटूट रिश्ते बनते
हैं..नफ़रत हमारी रूह पर फेविकॉल के जोड़ की तरह चिपक जाती है..और फिर हम
जन्म-जन्मांतर तक उन लोगों को ढोते रहते हैं जिन्हें हम एक पल भी बर्दाश्त
नहीं कर सकते..कहते हैं, जितनी ज़्यादा नफ़रत, उतना ही गहरा रिश्ता हमारे
हाथ की लकीरों में लिख दिया जाता है..इसलिए भलाई इसी में है कि उन लोगों से
रिश्ते सुधार लिए जाएं..जो हमारे करीबी तो हैं लेकिन लगातार चोट पहुंचाते
रहते हैं..और अगर ये मुश्किल लगे तो उन्हें माफ़ कर दो..ऐसा करने से भले ही
अगला जन्म सुधरे या ना सुधरे..लेकिन ये जन्म ज़रूर सुधर जाएगा.. +anshupriya prasad
जब ज़िंदगी उलटी दिशा में बहे..तो अड़ जाना, दोगुना जोश जगाना..जब सब कुछ बिगड़ता दिखाई दे तो अपने आप पर और अपने ईश्वर (Divine Energy) पर भरोसा, और बढ़ाना..क्योंकि जिस वक्त हम हिम्मत हारते हैं ना..उसी समय हमें सबसे ज्यादा हिम्मत रखने की आवश्यकता (Need) होती है.. आसान वक्त तो अपने आप ही कट जाता है..लेकिन मुश्किल समय में हमें ज़्यादा उम्मीद, ज़्यादा लगन और ज़्यादा विश्वास की ज़रूरत पड़ती है...यही वो समय है जब हमें ज़िद करनी है..अपना शौर्य, अपना दम-खम साबित करना है..अपने अंदर इतना विश्वास (Faith) जगाना है कि हमारे रोम-रोम को इस बात का यकीन हो जाए कि हमारे साथ जो भी होगा वो अच्छा ही होगा..ऐसा करने से ना सिर्फ हमारा मन शांत रहेगा बल्कि भविष्य को लेकर सारे डर भी खत्म हो जाएंगे..फिर हम जिस तरफ भी कोशिश करेंगे उसका नतीजा अच्छा ही होगा.. जब हम आज के हालात से निपटना सीख लेंगे, उसमें खरे उतरेंगे..तभी तो एक बेहतर दुनिया के दरवाजे खुलेंगे..
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