जब कुछ काम नहीं आता तो दुआ काम आती है..प्रार्थना (Prayer) में इतनी शक्ति है कि वो बड़े से बड़ा चमत्कार कर सकती है..लेकिन उससे पहले ये ज़रूरी है कि जो मिला है उसमें खुश रहना सीखो..फिर चाहें हालात कैसे भी हों..शिकायतें बंद करो और अपनी नेमतों (Blessings) के लिए सच्चे मन से खुदा के शुक्रगुज़ार बनो..जब ईश्वर से इतना कनेक्शन जुड़ जाएगा तब कोई भी दुआ..कोई भी प्रार्थना..कभी खाली नहीं जाएगी..क्योंकि हमारी प्लानिंग फेल हो सकती है लेकिन ईश्वर की नहीं.. +anshupriya prasad
मोहब्बत करने वाले रोज़ थोड़ा-थोड़ा मरा करते हैं..क्योंकि किसी और को अपना हिस्सा बनाने के लिए खुद को मिटाना पड़ता है..तभी दूसरे के लिए जगह बनती है..अपना वजूद जितना मिटेगा, उतना ही प्यार बढ़ता चला जाएगा..ज़रूरी नहीं है कि जितनी प्रीत आप कर सकते हो, उतनी वापस भी मिल जाए..क्योंकि प्रेम तो केवल वही निभा सकते हैं जिन्हें दर्द के नूर में तप-तप कर संवरना आता है..प्रेमी अगर मिल जाएं तो 'राधा-कृष्ण'..और ना मिल पाएं तो 'मीरा-कृष्ण'..
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