जब कुछ काम नहीं आता तो दुआ काम आती है..प्रार्थना (Prayer) में इतनी शक्ति है कि वो बड़े से बड़ा चमत्कार कर सकती है..लेकिन उससे पहले ये ज़रूरी है कि जो मिला है उसमें खुश रहना सीखो..फिर चाहें हालात कैसे भी हों..शिकायतें बंद करो और अपनी नेमतों (Blessings) के लिए सच्चे मन से खुदा के शुक्रगुज़ार बनो..जब ईश्वर से इतना कनेक्शन जुड़ जाएगा तब कोई भी दुआ..कोई भी प्रार्थना..कभी खाली नहीं जाएगी..क्योंकि हमारी प्लानिंग फेल हो सकती है लेकिन ईश्वर की नहीं.. +anshupriya prasad
अपने आप से बात करते समय, बेहद सावधानी बरतें..क्योंकि हमारा आगे आने वाला वक्त काफी हद तक, इस बात पर निर्भर करता है कि हम क्या सोचते हैं..या फिर खुद से कैसी बातें करते हैं..हमारे साथ कोई भी बात, होती तो एक बार है, लेकिन हम लगातार उसी के बारे में सोचते रहते हैं..और मन ही मन, उन्ही पलों को, हर समय जीते रहते हैं जिनसे हमें चोट पहुंचती है..बार-बार ऐसी बातों को याद करने से, हमारा दिल इतना छलनी हो जाता है कि सारा आत्मविश्वास, रिस-रिस कर बह जाता है..फिर हमें कोई भी काम करने में डर लगता है..भरोसा ही नहीं होता कि हम कुछ, कर भी पाएंगे या नहीं..तरह-तरह की आशंकाएं सताने लगती हैं..इन सबका नतीजा ये होता है कि अगर कोई अनहोनी, नहीं भी होने वाली होती है, तो वो होने लगती है..गलत बातें सोच-सोच कर, हम अपने ही दुर्भाग्य पर मोहर लगा देते हैं..इसलिए वही सोचो, जो आप भविष्य में होते हुए देखना चाहते हो..वैसे भी न्यौता, सुख को दिया जाता है..दुख को नहीं..तो फिर तैयारी भी खुशियों की ही करनी चाहिए..
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