इस दुनिया में कोई भी ऐसा नहीं है जिसे नेमतों (Blessings) से ना बख्शा गया हो..लेकिन अगर फिर भी किसी को ऐसा लगता है कि ज़िंदगी ने मुझे कुछ भी नहीं दिया..तो वो सिर्फ दिल से ही नहीं दिमाग से भी गरीब है..क्योंकि जो हमें मिला है उसे झुठलाया नहीं जा सकता..बहुतों के पास तो उतना भी नहीं होता..लेकिन फिर भी वो ज़िंदगी जीने का हौसला रखते हैं..सच तो ये है कि शुक्रगुज़ार बने बिना बेहतरी की राह पर चलना मुमकिन नहीं..जो मिला है उसकी कदर करना सीखो..क्योंकि यही हमारी ताकत है..इसी से हमें हिम्मत मिलती है..और बिना हिम्मत के सपनों के सफ़र तय नहीं किए जाते.. +anshupriya prasad
अपने आप से बात करते समय, बेहद सावधानी बरतें..क्योंकि हमारा आगे आने वाला वक्त काफी हद तक, इस बात पर निर्भर करता है कि हम क्या सोचते हैं..या फिर खुद से कैसी बातें करते हैं..हमारे साथ कोई भी बात, होती तो एक बार है, लेकिन हम लगातार उसी के बारे में सोचते रहते हैं..और मन ही मन, उन्ही पलों को, हर समय जीते रहते हैं जिनसे हमें चोट पहुंचती है..बार-बार ऐसी बातों को याद करने से, हमारा दिल इतना छलनी हो जाता है कि सारा आत्मविश्वास, रिस-रिस कर बह जाता है..फिर हमें कोई भी काम करने में डर लगता है..भरोसा ही नहीं होता कि हम कुछ, कर भी पाएंगे या नहीं..तरह-तरह की आशंकाएं सताने लगती हैं..इन सबका नतीजा ये होता है कि अगर कोई अनहोनी, नहीं भी होने वाली होती है, तो वो होने लगती है..गलत बातें सोच-सोच कर, हम अपने ही दुर्भाग्य पर मोहर लगा देते हैं..इसलिए वही सोचो, जो आप भविष्य में होते हुए देखना चाहते हो..वैसे भी न्यौता, सुख को दिया जाता है..दुख को नहीं..तो फिर तैयारी भी खुशियों की ही करनी चाहिए..
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