इस दुनिया के मुकाबले हम एक ज़र्रा (particle) या एक बिंदु भी नहीं हैं..और अगर ये ज़र्रा अपनी किस्मत से ज्यादा पाने की हसरत रखे तो सोचो उसे कितनी मेहनत करनी पड़ेगी..अगर सचमुच कुछ पाना चाहते हो तो अपना तन-मन सपनों की आग में झोंक दो..और इतना तपो कि सूरज की आंच भी फीकी पड़ जाए..जब एक ज़र्रे में इतनी अगन होगी तो पूरी कायनात पिघल कर मजबूर हो जाएगी एक नई तकदीर लिखने के लिए.. +anshupriya prasad
मोहब्बत करने वाले रोज़ थोड़ा-थोड़ा मरा करते हैं..क्योंकि किसी और को अपना हिस्सा बनाने के लिए खुद को मिटाना पड़ता है..तभी दूसरे के लिए जगह बनती है..अपना वजूद जितना मिटेगा, उतना ही प्यार बढ़ता चला जाएगा..ज़रूरी नहीं है कि जितनी प्रीत आप कर सकते हो, उतनी वापस भी मिल जाए..क्योंकि प्रेम तो केवल वही निभा सकते हैं जिन्हें दर्द के नूर में तप-तप कर संवरना आता है..प्रेमी अगर मिल जाएं तो 'राधा-कृष्ण'..और ना मिल पाएं तो 'मीरा-कृष्ण'..
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