राम
के बिना सीता अधूरी नहीं..कान्हा के भुला देने के बावजूद भी राधा का
अस्तित्व है..क्योंकि राधा वो है जिसने साक्षात ईश्वर को प्यार करना
सिखाया..और सीता ने अगर मर्यादा का पालन नहीं किया होता तो राम कभी मर्यादा
पुरुषोत्तम नहीं कहलाते..सीता और राधा दोनों जानती थीं कि हर नारी अपने आप
में संपूर्ण (Complete) है..नाज़ुक दिल और बेपनाह इमोशन्स, उसकी ताकत
हैं..कमज़ोरी नहीं..इसलिए ना तो कभी राधा ने द्वारका तक श्री कृष्ण का पीछा
किया..और ना ही कभी सीता ने राजा राम के राजपाट की तरफ पलट कर देखा..इसलिए
आत्म सम्मान (Dignity) और शालीनता (Grace) से जीना सीखो..फिर चाहें सामने
भगवान ही क्यों ना खड़े हों.. +anshupriya prasad
मोहब्बत करने वाले रोज़ थोड़ा-थोड़ा मरा करते हैं..क्योंकि किसी और को अपना हिस्सा बनाने के लिए खुद को मिटाना पड़ता है..तभी दूसरे के लिए जगह बनती है..अपना वजूद जितना मिटेगा, उतना ही प्यार बढ़ता चला जाएगा..ज़रूरी नहीं है कि जितनी प्रीत आप कर सकते हो, उतनी वापस भी मिल जाए..क्योंकि प्रेम तो केवल वही निभा सकते हैं जिन्हें दर्द के नूर में तप-तप कर संवरना आता है..प्रेमी अगर मिल जाएं तो 'राधा-कृष्ण'..और ना मिल पाएं तो 'मीरा-कृष्ण'..
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