हमें लगता है कि हमारे हालात खराब हैं इसलिए हम आगे नहीं बढ़ पाते..लेकिन हकीकत ये है कि हमारी अपनी सोच हमें आगे नहीं बढ़ने देती..जब भी हम कुछ नया और बेहतर करना चाहते हैं तो हमारा दिमाग मुश्किलों और नाकामयाबी का ऐसा ताना-बाना बुनता है कि हम ये सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि ये तो हमारी किस्मत में ही नहीं है..बेकार है कोशिश करना..लेकिन सच तो ये है कि जो अपनी मदद खुद नहीं करता..उसकी मदद तो खुदा भी नहीं कर सकते..वैसे भी कोई और तो आएगा नहीं ज़िंदगी संवारने..हिम्मत तो खुद ही करनी पड़ेगी..कदम भी खुद ही बढ़ाने पड़ेंगे..तभी तो मंज़िलों का फासला तय होगा.. +anshupriya prasad
जब ज़िंदगी उलटी दिशा में बहे..तो अड़ जाना, दोगुना जोश जगाना..जब सब कुछ बिगड़ता दिखाई दे तो अपने आप पर और अपने ईश्वर (Divine Energy) पर भरोसा, और बढ़ाना..क्योंकि जिस वक्त हम हिम्मत हारते हैं ना..उसी समय हमें सबसे ज्यादा हिम्मत रखने की आवश्यकता (Need) होती है.. आसान वक्त तो अपने आप ही कट जाता है..लेकिन मुश्किल समय में हमें ज़्यादा उम्मीद, ज़्यादा लगन और ज़्यादा विश्वास की ज़रूरत पड़ती है...यही वो समय है जब हमें ज़िद करनी है..अपना शौर्य, अपना दम-खम साबित करना है..अपने अंदर इतना विश्वास (Faith) जगाना है कि हमारे रोम-रोम को इस बात का यकीन हो जाए कि हमारे साथ जो भी होगा वो अच्छा ही होगा..ऐसा करने से ना सिर्फ हमारा मन शांत रहेगा बल्कि भविष्य को लेकर सारे डर भी खत्म हो जाएंगे..फिर हम जिस तरफ भी कोशिश करेंगे उसका नतीजा अच्छा ही होगा.. जब हम आज के हालात से निपटना सीख लेंगे, उसमें खरे उतरेंगे..तभी तो एक बेहतर दुनिया के दरवाजे खुलेंगे..
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