हमें लगता है कि हमारे हालात खराब हैं इसलिए हम आगे नहीं बढ़ पाते..लेकिन हकीकत ये है कि हमारी अपनी सोच हमें आगे नहीं बढ़ने देती..जब भी हम कुछ नया और बेहतर करना चाहते हैं तो हमारा दिमाग मुश्किलों और नाकामयाबी का ऐसा ताना-बाना बुनता है कि हम ये सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि ये तो हमारी किस्मत में ही नहीं है..बेकार है कोशिश करना..लेकिन सच तो ये है कि जो अपनी मदद खुद नहीं करता..उसकी मदद तो खुदा भी नहीं कर सकते..वैसे भी कोई और तो आएगा नहीं ज़िंदगी संवारने..हिम्मत तो खुद ही करनी पड़ेगी..कदम भी खुद ही बढ़ाने पड़ेंगे..तभी तो मंज़िलों का फासला तय होगा.. +anshupriya prasad
मोहब्बत करने वाले रोज़ थोड़ा-थोड़ा मरा करते हैं..क्योंकि किसी और को अपना हिस्सा बनाने के लिए खुद को मिटाना पड़ता है..तभी दूसरे के लिए जगह बनती है..अपना वजूद जितना मिटेगा, उतना ही प्यार बढ़ता चला जाएगा..ज़रूरी नहीं है कि जितनी प्रीत आप कर सकते हो, उतनी वापस भी मिल जाए..क्योंकि प्रेम तो केवल वही निभा सकते हैं जिन्हें दर्द के नूर में तप-तप कर संवरना आता है..प्रेमी अगर मिल जाएं तो 'राधा-कृष्ण'..और ना मिल पाएं तो 'मीरा-कृष्ण'..
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