जिसने बार-बार मज़ाक उड़ाया और तानों के नश्तर चुभोए..उसने कुछ कर दिखाने की ज़िद दी..जिसने हर बार भरोसा तोड़ा और कभी मदद नहीं की..उसने खुद पर, खुदा पर यकीन करना सिखाया..जिसने छोटी-छोटी चीजों के लिए रुलाया और पग-पग पर रोड़े अटकाए..उसने मुश्किलों से निपटने का हौसला दिया..तो आओ..और आंच डालो..और जलाओ..अब ना तो तड़प है और ना ही घुटन है..क्योंकि हमने तो तप-तप कर निखरने की ठान ली है.. +anshupriya prasad
मोहब्बत करने वाले रोज़ थोड़ा-थोड़ा मरा करते हैं..क्योंकि किसी और को अपना हिस्सा बनाने के लिए खुद को मिटाना पड़ता है..तभी दूसरे के लिए जगह बनती है..अपना वजूद जितना मिटेगा, उतना ही प्यार बढ़ता चला जाएगा..ज़रूरी नहीं है कि जितनी प्रीत आप कर सकते हो, उतनी वापस भी मिल जाए..क्योंकि प्रेम तो केवल वही निभा सकते हैं जिन्हें दर्द के नूर में तप-तप कर संवरना आता है..प्रेमी अगर मिल जाएं तो 'राधा-कृष्ण'..और ना मिल पाएं तो 'मीरा-कृष्ण'..
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