जब सब कुछ पाकर भी खाली-खाली सा लगे..और दिल कसमसा कर कहे कि जीना तो अभी बाकी है..तो इसका मतलब है कि हमने ज़िंदगी का स्वाद कभी चखा ही नहीं..या तो जो बीत गया, उसमें ही जीते-मरते रहे..या फिर जो हुआ नहीं, उसी के बारे में सोचते रहे..लेकिन सच तो ये है कि ये लम्हा, जो अभी इस वक्त है..बस, वही हमारे हाथ में है..हम, इसी का भरपूर फायदा उठा सकते हैं..तो क्यों ना अगला-पिछला एक तरफ रख कर, सिर्फ और सिर्फ मौजूदा पल में जीने की आदत डालें..तभी असल मायनों में जीने का अहसास होगा.. +anshupriya prasad
अपने आप से बात करते समय, बेहद सावधानी बरतें..क्योंकि हमारा आगे आने वाला वक्त काफी हद तक, इस बात पर निर्भर करता है कि हम क्या सोचते हैं..या फिर खुद से कैसी बातें करते हैं..हमारे साथ कोई भी बात, होती तो एक बार है, लेकिन हम लगातार उसी के बारे में सोचते रहते हैं..और मन ही मन, उन्ही पलों को, हर समय जीते रहते हैं जिनसे हमें चोट पहुंचती है..बार-बार ऐसी बातों को याद करने से, हमारा दिल इतना छलनी हो जाता है कि सारा आत्मविश्वास, रिस-रिस कर बह जाता है..फिर हमें कोई भी काम करने में डर लगता है..भरोसा ही नहीं होता कि हम कुछ, कर भी पाएंगे या नहीं..तरह-तरह की आशंकाएं सताने लगती हैं..इन सबका नतीजा ये होता है कि अगर कोई अनहोनी, नहीं भी होने वाली होती है, तो वो होने लगती है..गलत बातें सोच-सोच कर, हम अपने ही दुर्भाग्य पर मोहर लगा देते हैं..इसलिए वही सोचो, जो आप भविष्य में होते हुए देखना चाहते हो..वैसे भी न्यौता, सुख को दिया जाता है..दुख को नहीं..तो फिर तैयारी भी खुशियों की ही करनी चाहिए..
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