दिमाग का भी किस्मत कनेक्शन होता है..क्योंकि बचपन से ही हमारे दिमाग में
कई बातें अपने आप दर्ज (feed) होती रहती हैं..जैसे किस्मत का अच्छा या बुरा
होना, भाग्य से ज्यादा किसी को नहीं मिलना..हम इन बातों पर इसलिए विश्वास
करने लगते हैं क्योंकि हमारे आसपास रहने वाले ज्यादातर लोग ऐसी ही बातों पर
यकीन रखते हैं..ये बातें जाने-अनजाने हमारे दिमाग में इतनी गहरी बैठ जाती
हैं कि जरा सी अड़चन आते ही हमें लगता है कि हमारा तो समय ठीक नहीं है
इसलिए कोई काम नहीं बन रहा..और अगर थोड़ी-बहुत मेहनत कर
ली और फिर भी सफलता हाथ नहीं लगी तो डंके की चोट पर ये मान लिया जाता है
कि हमारी तो किस्मत ही खराब है, हमें तो कोई भी चीज कभी मिल ही नहीं
सकती..अब जब मन की गहराइयों में इतनी नकारात्मक (negative) बातें भरी
रहेंगी तो हौसला कहां से आएगा..कोई भी काम करते-करते अगर खुद का मन ही
निराशा से भर उठे तो यकीन मानिए वो काम कभी पूरा नहीं होगा..इसलिए हथियार
डालने का कोई फायदा नहीं..संघर्ष तो वैसे भी करना ही पड़ रहा है..तो क्यों
ना हम इसे अपनी खुशी से चुनें..कम से कम सफल होने की उम्मीद तो होगी.. +anshupriya prasad
जब ज़िंदगी उलटी दिशा में बहे..तो अड़ जाना, दोगुना जोश जगाना..जब सब कुछ बिगड़ता दिखाई दे तो अपने आप पर और अपने ईश्वर (Divine Energy) पर भरोसा, और बढ़ाना..क्योंकि जिस वक्त हम हिम्मत हारते हैं ना..उसी समय हमें सबसे ज्यादा हिम्मत रखने की आवश्यकता (Need) होती है.. आसान वक्त तो अपने आप ही कट जाता है..लेकिन मुश्किल समय में हमें ज़्यादा उम्मीद, ज़्यादा लगन और ज़्यादा विश्वास की ज़रूरत पड़ती है...यही वो समय है जब हमें ज़िद करनी है..अपना शौर्य, अपना दम-खम साबित करना है..अपने अंदर इतना विश्वास (Faith) जगाना है कि हमारे रोम-रोम को इस बात का यकीन हो जाए कि हमारे साथ जो भी होगा वो अच्छा ही होगा..ऐसा करने से ना सिर्फ हमारा मन शांत रहेगा बल्कि भविष्य को लेकर सारे डर भी खत्म हो जाएंगे..फिर हम जिस तरफ भी कोशिश करेंगे उसका नतीजा अच्छा ही होगा.. जब हम आज के हालात से निपटना सीख लेंगे, उसमें खरे उतरेंगे..तभी तो एक बेहतर दुनिया के दरवाजे खुलेंगे..
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