सिर्फ एक दिन के लिए अपनी परेशानियां किसी और को देकर देखो..ज़िम्मेदारियों के बोझ से उसका दम ना निकल जाए तो कहना..क्योंकि हर इंसान को उतनी ही मुश्किलें मिलती हैं जितनी उसकी सहने की क्षमता होती है..कोई दूसरा ना तो हमारी तकलीफों का अंदाज़ा लगा सकता है और ना ही झेल सकता है..लेकिन हम हैं कि इसी दुख-दर्द के बीच ना सिर्फ आगे बढ़ते रहते हैं बल्कि मुस्कुरा भी लेते हैं..प्यार भरी दो बातें भी कर लेते हैं और ज़रूरत पड़ने पर दूसरों की मदद भी कर देते हैं..ऐसा एक हीरो के अलावा और कौन सकता है..इसलिए मायूस होने से पहले अपने अंदर के हीरो को पहचानो..जो ना तो रुकना जानता है और ना ही टूटना.. +anshupriya prasad
मोहब्बत करने वाले रोज़ थोड़ा-थोड़ा मरा करते हैं..क्योंकि किसी और को अपना हिस्सा बनाने के लिए खुद को मिटाना पड़ता है..तभी दूसरे के लिए जगह बनती है..अपना वजूद जितना मिटेगा, उतना ही प्यार बढ़ता चला जाएगा..ज़रूरी नहीं है कि जितनी प्रीत आप कर सकते हो, उतनी वापस भी मिल जाए..क्योंकि प्रेम तो केवल वही निभा सकते हैं जिन्हें दर्द के नूर में तप-तप कर संवरना आता है..प्रेमी अगर मिल जाएं तो 'राधा-कृष्ण'..और ना मिल पाएं तो 'मीरा-कृष्ण'..
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