किसी को प्यार की तलाश है..किसी को मौके की..तो किसी को धन-दौलत की..सबकी चाहत अलग-अलग है क्योंकि जिसे जो चीज़ नहीं मिलती..बस, वही सबसे प्यारी बन जाती है..सारी ज़िंदगी हम उसी चीज़ की तलब में काट देते हैं..और दूसरी चीजें जो हमारे पास हैं उनकी कदर तक नहीं करते..ख्वाहिशें अच्छी हैं..लक्ष्य भी ज़रूरी हैं..और मंजिलें भी..लेकिन असली मज़ा तो सफ़र में है..कहीं ऐसा ना हो कि मंज़िल की तलाश में अपने ही खो जाएं..और कल की उम्मीद में हम आज, जीना छोड़ दें..इसलिए सफर को हसीन बनाना ज़रूरी है..मंज़िल का क्या है..जब ठान लिया है तो एक ना एक दिन मिल ही जाएगी.. +anshupriya prasad
मोहब्बत करने वाले रोज़ थोड़ा-थोड़ा मरा करते हैं..क्योंकि किसी और को अपना हिस्सा बनाने के लिए खुद को मिटाना पड़ता है..तभी दूसरे के लिए जगह बनती है..अपना वजूद जितना मिटेगा, उतना ही प्यार बढ़ता चला जाएगा..ज़रूरी नहीं है कि जितनी प्रीत आप कर सकते हो, उतनी वापस भी मिल जाए..क्योंकि प्रेम तो केवल वही निभा सकते हैं जिन्हें दर्द के नूर में तप-तप कर संवरना आता है..प्रेमी अगर मिल जाएं तो 'राधा-कृष्ण'..और ना मिल पाएं तो 'मीरा-कृष्ण'..
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