हमारी
ख्वाहिशें इसलिए पूरी नहीं होतीं क्योंकि, हम अगर एक कदम आगे बढ़ाते हैं
तो चार कदम पीछे खींच लेते हैं..एक पल में इरादा करते हैं और दूसरे ही पल
ये सोचने लगते हैं कि ये कैसे होगा..ये तो बहुत मुश्किल है..हमारी किस्मत
तो इतनी अच्छी नहीं है कि हमें ये मिल जाए..या फिर अरे, छोड़ो क्या करना
है..आज तक कुछ मिला भी है जो आगे मिलेगा..इसी उधेड़बुन में हम लगातार पीछे
और पीछे होते चले जाते हैं..ऐसे हालात में
कितना भी मेहनत कर लो..कितना भी इरादा कर लो..कामयाबी नहीं
मिलेगी..क्योंकि हम जितना आगे बढ़ते हैं उससे ज्यादा अपने आपको पीछे धकेल
देते हैं..और जब कदम आगे ही नहीं बढ़ेंगे तो मंजिल तक कैसे पहुंचेगे..इसलिए
अगर सचमुच कुछ पाना चाहते हो तो सारे किंतु-परंतु छोड़ दो..हमारा काम है
अपने इरादे पर टिके रहना..और सही दिशा में मेहनत करना..वो कब होगा..कैसे
होगा..ये सोचना हमारा काम नहीं है..कुछ चीजें समय पर भी छोड़ देनी चाहिए..+anshupriya prasad
मोहब्बत करने वाले रोज़ थोड़ा-थोड़ा मरा करते हैं..क्योंकि किसी और को अपना हिस्सा बनाने के लिए खुद को मिटाना पड़ता है..तभी दूसरे के लिए जगह बनती है..अपना वजूद जितना मिटेगा, उतना ही प्यार बढ़ता चला जाएगा..ज़रूरी नहीं है कि जितनी प्रीत आप कर सकते हो, उतनी वापस भी मिल जाए..क्योंकि प्रेम तो केवल वही निभा सकते हैं जिन्हें दर्द के नूर में तप-तप कर संवरना आता है..प्रेमी अगर मिल जाएं तो 'राधा-कृष्ण'..और ना मिल पाएं तो 'मीरा-कृष्ण'..
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