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एक बार जो कमिटमेंट कर दी..

हम सपने देखने से डरते हैं..उनके बारे में बात करने में संकोच करते हैं..घबराते हैं कि अगर किसी को पता चल गया तो हमारा मज़ाक उड़ेगा..लोग कहेंगे कि आता-जाता तो कुछ नहीं है लेकिन ख्वाब तो राजा-रानियों वाले हैं..सच तो ये है कि हम दूसरों से नहीं बल्कि अपने आप से शरमाते हैं..खुद से कमिटमेंट करने में डरते हैं..अब लोगों का क्या है..उन्हे तो कुछ ना कुछ कहना ही है..सपने देखोगे, तब भी बोलेंगे और नहीं देखोगे, तब भी ताने मारेंगे कि ये तो किसी लायक नहीं है..इसलिए सपने ज़रूर देखो..अपनी ताकत से ज्यादा और खूब सारे देखो..फिर अपने आपको उनमें झोंक दो..सलमान ख़ान का ये डायलॉग तो सुना ही होगा कि-"एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी..उसके बाद तो मैं खुद की भी नहीं सुनता"..ऐसी ही कमिटमेंट खुद से करो..अपनी तरक्की के लिए..उन्नति के लिए..अपने और अपनों के सपने साकार करने के लिए..और फिर जब तक मंज़िल पर नहीं पहुंचो तब तक खुद की भी नहीं सुनो..

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दर्द भरा नूर..

मोहब्बत करने वाले रोज़ थोड़ा-थोड़ा मरा करते हैं..क्योंकि किसी और को अपना हिस्सा बनाने के लिए खुद को मिटाना पड़ता है..तभी दूसरे के लिए जगह बनती है..अपना वजूद जितना मिटेगा, उतना ही प्यार बढ़ता चला जाएगा..ज़रूरी नहीं है कि जितनी प्रीत आप कर सकते हो, उतनी वापस भी मिल जाए..क्योंकि प्रेम तो केवल वही निभा सकते हैं जिन्हें दर्द के नूर में तप-तप कर संवरना आता है..प्रेमी अगर मिल जाएं तो 'राधा-कृष्ण'..और ना मिल पाएं तो 'मीरा-कृष्ण'..

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Love's got nothing to do with shape, size, colour, disability, or any lack.. Love is complete in itself..So are we.. Let's appreciate each other's uniqueness..and heal through Love.. Love is within us.. Be your own reason to smile..  https://youtu.be/5d1yQs4O7E0