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समय के खजाने में क्या है?

अगर तारीफ ना मिले, तो क्या हम खूबसूरत नहीं?
अगर प्यार ना  मिले, तो क्या हम किसी काबिल नहीं?
क्या योग्यता साबित करने के लिए, बड़े काम करना ज़रूरी है?
क्या कम पैसे कमाने वाले, साधारण से दिखने वालों की कोई हैसियत नहीं?

ऐसा तब होता है जब हम अपनी तुलना दूसरों से करते हैं..जब हम दूसरों की तरह जीना चाहते हैं..दूसरों की तरह बनना चाहते हैं..दूसरों की तरह दिखना चाहते हैं..तब, हमें अपने अंदर और अपनी ज़िंदगी में कमियां ही कमियां नज़र आने लगती हैं..और हमें शिकायत करने की सैकड़ों वजह मिल जाती हैं..

लेकिन, जब हम अपना सारा ध्यान खुद को बेहतर बनाने में लगाते हैं..तब हमें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि दूसरों के पास क्या है और क्या नहीं..इसी के साथ वो पीड़ा और बैचेनी भी खत्म हो जाती है..जो हम दूसरों की वजह से अपने आपको देते हैं..इसलिए, किसी भी सूरत में, अपनी तुलना, किसी और से नहीं करना..आज हमारे पास जो भी है, वो बहुत अच्छा है..बहुत से लोगों के पास, इतना भी नहीं होता..

कोरोना ने हम सब की ज़िंदगी से बहुत कुछ छीन लिया है..इस मुश्किल समय में हमारी लगन और हमारे करीबी ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी हैं..हमें इन्ही को लेकर आगे बढ़ना है..

आज हो सकता है कि दूसरों के पास हमसे ज्यादा हो..लेकिन कल, हमारे पास भी वो सब कुछ हो सकता है..समय के खजाने में किसके लिए क्या छुपा है, किसी ने देखा नहीं है..इसलिए कोशिश करना कभी नहीं छोड़ना..

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