जब भी मन बुझने लगे..और हौसले पस्त पड़ने लगें..तब मजबूती से खड़े रहना..दुख-तकलीफ पूरी ताकत से अपनी ओर खींचेगे..लेकिन, फौलादी इरादों के साथ डटे रहना..कितने भी आंसू निकलें..कितना भी दिल भारी हो..उस तरफ बिल्कुल नहीं जाना..क्योेंकि, हालात से लड़ाई तो बाद में होगी..पहले अपने मन से तो निपट लें..
वो कहते हैं ना 'मन के हारे, हार है..और मन के जीते, जीत'..इसलिए जब भी उदासी छाए तो अपना ध्यान कहीं और लगा लेना..आसान नहीं होगा ऐसा करना..लेकिन, अगर हम लगातार 21 दिनों तक, एक पल के लिए भी, उदासी को अपने पास नहीं फटकने देंगे..तो दर्द का चक्रव्यूह, अपने आप ही टूट जाएगा..
अब देखो ना..कोरोना ने पहले ही हम सबकी ज़िंदगी उलट-पलट दी है..ऐसे में अगर मन भी हार गया, तो जीना बहुत मुश्किल हो जाएगा..इसलिए खुश रहें..और हौसला बनाए रखें..सूरज में अगर ग्रहण लग भी जाए, तो क्या गम है?..मन के उजियारे ही काफी हैं..बाहर के अंधियारे मिटाने के लिए..
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