हम इंतज़ार करते रहते हैं कि थोड़े से हालात सुधर जाएं, तब हम शुरुआत करें..लेकिन हालात कहते हैं कि वो तभी बदलेंगे, जब हम शुरुआत करेंगे..इसी कश्मकश में एक बेहद बेशकीमती चीज़ हमारे हाथ से फिसलती चली जाती है..वो है-समय..
अगर हम ज़िंदगी की गाड़ी को सिर्फ भाग्य के पहियों के भरोसे छोड़ देंगे..तो वो अपनी मर्ज़ी से चलेगी..कभी टेढ़ी-मेढ़ी, तो कभी रुक-रुक कर..लेकिन अगर इस गाड़ी में संकल्प (Resolve) और मेहनत के शक्तिशाली पार्ट (Part) लगा दिए जाएं..तब ये वहीं जाएगी, जहां हम इसे ले जाना चाहते हैं..
हमारा संकल्प, ज़िंदगी की गाड़ी का स्टीयरिंग (Steering wheel) बन जाएगा..जिससे इसे सही दिशा मिलेगी..और हमारी मेहनत, गाड़ी के एक्सीलेटर (Accelerator pedal) का काम करेगी..जिससे इसे रफ्तार मिलेगी..
सही दिशा और रफ्तार..यानी संकल्प और मेहनत..सिर्फ यही दो चीज़ें हैं, जो हमारे लिए छोड़ी गई हैं..और इन्ही दो चीजों का होना या ना होना, हमारी सफलता या असफलता, निर्धारित करता है..
इसलिए, जो भी करना चाहते हो, उसका संकल्प लेकर, जहां हो..जैसे हो..वहीं से शुरू करो..क्योंकि, जब तक हम पूरी लगन से आगे नहीं बढ़ेंगे..तब तक ना तो हालात बदलेंगे..और ना ही लोग..
Comments
Post a Comment