जिस समय हम सबसे ज़्यादा कमज़ोर पड़ते हैं न..वही हमारी ज़िंदगी का सबसे ताकतवर पल होता है..क्योंकि उसके बाद खोने के लिए कुछ नहीं बचता..और हमारे अंदर चट्टान की तरह हर तूफान से टकराने का हौसला आ जाता है..
जब हमें लगता है कि अब सब कुछ खत्म हो गया..तब हमारी ज़िंदगी को एक अलग दिशा मिलती है..क्योंकि घनघोर निराशा के बाद ही नई आशा का सृजन (Creation) होता है..
ये दर्द जो सीने को छीले जाता है..वही तो मोहब्बत बनकर आंखों से छलक जाता है..
जब मन में स्याह अंधेरे गहराते हैं..तभी तो हिम्मत जैसा कुछ कौंध जाता है..
ठहरे हैं..हारे नहीं..फिर लौटेंगे..पूरी ताकत के साथ..खफा-खफा सी ज़िंदगी को गले लगाने के लिए..
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