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Showing posts from August, 2017

'What's in those eyes'

Your eyes are reservoir of what I have been longing all my life. Parting is like a sacrilege. +anshupriya prasad  

See your own beauty

Innumerous beauties all around but only few are considered beautiful. You may not find them the most beautiful people in the world. But ironically, they are considered so. Why?..Because beauty is not about the skin or the the shape of the body. Surprisingly, It's got nothing to do with the outer self. Beauty is always inside out. When you have enormous confidence in yourself then you can change the world around you. And Yes, with ordinary looks or body, you yourself can be the most beautiful person. There are ways to it. There are tools and technologies to transform you. But first of all you must have strong will and unabated confidence in yourself. Once you see your own beauty, everyone else would see it too..   +anshupriya prasad  

Love Anyway

प्यार करने वाले थोड़ा-थोड़ा, रोज़ मरा करते हैं..क्योंकि किसी और को अपना हिस्सा बनाने के लिए, खुद को मिटाना पड़ता है..तभी दूसरे के लिए जगह बनती है..जैसे-जैसे 'मैं' खत्म होता है..वैसे-वैसे मोहब्बत, बढ़ती चली जाती है..इश्क करने वाले जानते हैं कि इस दौलत को ना तो कोई छीन सकता है और ना ही कम कर सकता है..प्रेमी अगर मिल जाएं तो राधा-कृष्ण और ना मिल पाएं तो मीरा-कृष्ण..  +anshupriya prasad  

Self Pity is addictive

मक्खन की तरह सारा वक्त कट जाए..ऐसी ज़िंदगी, किसी की भी नहीं होती..हर शख्स को अपने-अपने हिस्से के संघर्ष का सामना करना पड़ता है..और हमें लगता है कि सिर्फ हम ही मुसीबतों से जूझ रहे हैं..सहते-सहते, अपना दुख बढ़कर इतना बड़ा हो जाता है कि उसके सिवा कुछ भी दिखाई नहीं देता..उससे निपटने का तरीका भी सामने होता है लेकिन हम सेल्फ पिटी (Self Pity) में इतना डूबे रहते हैं कि उस पर नज़र ही नहीं जाती..सहानुभूति, दूसरों से रखना अच्छी बात है..लेकिन खुद पर तरस खाने से कुछ हासिल नहीं होगा..इसलिए ज़िंदगी में भले ही चाहें जैसी कमी रहे..अपने आपको इतना मजबूत बनाओ..कि ना तो खुद को अपने ऊपर तरस आए..और ना ही किसी और को..  +anshupriya prasad