आज मौसम ने फिर करवट बदली है..ज़रा सी शाम होते ही, हवाओं में ठंड जैसे घुल सी गई है...ठीक वैसे ही जैसे मेरी ज़िंदगी में तुम घुलमिल से गऐ थे ..तुम्हारा तो पता नहीं ,लेकिन तुम्हारा एहसास हमेशा मेरे साथ रहता है..शाम को जब ऑफिस से निकली, तो ठंडी हवा के थपेड़ों ने मेरे दिल पर दस्तक दे दी..इस ठंड के बीच, तुम्हारे ख्यालों की गर्म चादर लपेटे.. मैं कब घर पहुँच गई पता ही नहीं चला ..... ऐसा नहीं है कि बहुत दि नों से तुम्हें सोचा नहीं ..ऐसा भी नहीं है कि बहुत दिनों से तुम्हारे बारे में कुछ लिखा न हो लेकिन जब भी तुम्हारा ख्याल मेरे दिल और दिमाग से होकर गुज़रता है, ऐसा लगता है, जैसे अंदर कोई कारखाना चलता है, ढेर सारे लफ्ज़ उचक-उचक कर कागज़ पर उतर आने के लिए बावरे हो जाते हैं .., वैसे तो अमूमन मैं हर चीज़ से जुड़ी बातें लिखती हूं अक्सर..लेकिन अपने लिखे को उतनी शिद्दत से महसूस तभी कर पाती हूं , जब काग़ज़ पर तुम्हारी तस्वीर उभर कर आ जाती है, गोया मेरी क़लम को भी तुम्हारी आदत पड़ चुकी है ...ज़रीन की कलम से