Skip to main content

Posts

Showing posts from May, 2016

लम्हे फ़ुर्सत के

                        जब ऑफिस में काम करते-करते मन थक जाए...तो ब्रेक तो बनता है...

तड़प

                                 होठों पर हंसी, दिल में है तड़प तेरे..                                  तेरा चेहरा पढ़ लेता हूं, क्या छुपाता है मुझसे गुनहगार मेरे..

ज़िंदगी कोई सजा नहीं

ज़िंदगी के सफ़र में कुछ लोग जुड़ते हैं..कुछ जुदा हो जाते हैं..कुछ चीजें मिल जाती हैं..कुछ नहीं मिल पाती हैं..इस बात से हम खुश हों या सिर पटकें..ज़िंदगी अपनी रफ्तार से चलती रहती है..इसलिए इस वक्त जो भी हमारे पास है उसे इन्जॉय करो..क्योंकि जो बीत गया सो बीत गया..और जो आया नहीं उसके बारे में सोचकर अपनी जान क्यों हलकान करना..अगर अनुभव अच्छा है तो शुक्रिया अदा करो..खराब है तो सबक लो..ज़िंदगी कोई सजा नहीं बल्कि एक खूबसूरत तोहफ़ा है..दोनों बाहें फैलाकर इसका स्वागत करो.. +anshupriya prasad  

पापा की लाडो

                                                            थोड़ी शैतानी हो जाए

दिल के कनेक्शन

जो लोग आपको देखकर गुलाब की तरह खिल जाते हैं उन्हें हमेशा संभाल कर रखें..फिर चाहें उनसे कोई रिश्ता हो या ना हो..क्योंकि इस दुनिया में भले ही अरबों लोग हैं लेकिन हमें देखकर खुश होने वाले लोग बहुत कम हैं..वैसे भी ये ज़रूरी तो नहीं कि हर अहसास को नाम दिया जाए..और हर रिश्ते में नफ़ा-नुकसान देखा जाए..दिल के कुछ कनेक्शन ऐसे भी होते हैं जिनकी खुशबू ही काफी है..ताउम्र महकने के लिए.. +anshupriya prasad  

मस्ती की पाठशाला

                                                   नया-नया स्कूल..नए-नए दोस्त..

इंतज़ार

                                        इतनी रात हो गई..पापा, अब तो आ जाओ.. 

पा लो उसे जो हमारे लिए है बना

क्या हमारी ज़िंदगी में सब कुछ पहले से तय है..हम कुछ नहीं कर सकते...अगर ऐसा होता तो हमें अपना रास्ता चुनने की आज़ादी नहीं होती...किसी भी हालात में हम कैसे रियेक्ट करें, ये हमारे ऊपर है...हम किसी भी चीज को इतना खराब कर सकते हैं कि कोई उम्मीद ही ना रहे और इतना अच्छा भी कर सकते हैं कि मंज़िल साफ-साफ दिखाई देने लगे...हर इंसान में इतनी ताकत है कि वो अपना भाग्य खुद बना सके...वैसे भी इस बात की क्या गारंटी है कि किस्मत खराब भी होती है...कोई आकाशवाणी तो हुई नहीं आज तक...दो-चार बार हार का मुंह क्या देख लिया खुद से, खुदाई से खफ़ा हो गए...जब हर समय बुझे-बुझे रहोगे...कोशिश ही नहीं करोगे...तो आगे कैसे बढ़़ोगे...ज़मीन में ऐसे उगो कि तूफान भी हिला नहीं सके...क्योंकि असफलता मिलती ही इसलिए है कि उन चीज़ों को पाने का मज़ा बढ़ जाए जो उम्मीद से भी ज्यादा खूबसूरत हैं...इसलिए रुकना नहीं...अपने दमखम से वो हासिल करो जिस पर हमारा नाम उसी दिन लिख दिया गया था जिस दिन हमने उन्हें पाने का ख्वाब देखा था... +anshupriya prasad  

अग्नि परीक्षा कितनी बार?

ज़िंदगी भी बड़ी अजीब है..जो चाहिए वो मिलता नहीं और जो नहीं चाहिए वो भर-भर कर मिलता रहता है..कभी-कभी तो हम छोटी से छोटी चीज़ के लिए भी ऐसे तरस जाते हैं जैसे कि उसे पाना फ़लक से चांद-तारे तोड़ने के बराबर हो..बार-बार ऐसा होने पर निराश मन ये सोचने पर मजबूर हो जाता है कि ऐसी चीज़ें तो दूसरों को बिना मांगे ही मिल जाती हैं फिर हमें क्यों हर बार अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता है..क्या हमारे नसीब में इतनी छोटी सी चीज़ भी नहीं है..ऐसा नहीं है..अगर हमारा आज ख़राब है तब भी हमें कल के अच्छे होने की उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए..क्योंकि जब हम रोजमर्रा की परेशानियों में उलझे रह जाते हैं तो जीवन की हर खुशी पीछे छूटने लगती है..इसलिए हर चीज़ पर झुंझलाने, परेशान या दुखी होने की ज़रूरत नहीं है..कुछ चीज़ें समय के साथ अपने आप ठीक हो जाती हैं..और जो नहीं होती हैं उनको ठीक करने के लिए हमारा हौसला और उम्मीद ही काफ़ी है.. +anshupriya prasad  

बस, कुछ कदम ही तो और चलना है..

तकदीर से जब सिसकियों की आवाज़ आने लगे और टूटे हुए सपनों के टुकड़े जब अपने ही मन के अंधेरों में चुभने लगें..उस वक्त समझ लेना कि सवेरा होने को है..जब धक्के खाते-खाते दिल सहम जाए और छपटाकर कह उठे कि बस, अब और नहीं सहा जाता..तब समझ लेना कि सबकुछ सुधरने ही वाला है.. क्योंकि जब परेशानियां सहनशक्ति की हदें पार कर जाती हैं..तब हमारे इम्तिहान भी खत्म होने लगते हैं..इसलिए हिम्मत ना हारो..ये जो मुश्किलें इस पार दिखाई दे रही हैं..ये उस पार नहीं हैं..बस, कुछ कदम ही तो और चलना है.. +anshupriya prasad