कभी पहचाना अपने आपको? कितनी हिम्मत और हौसलों का कारवां (Carvan) साथ लेकर चलते हो? ज़िम्मेदारियां पैर खींचती हैं, थक के चूर हो जाते हो, फिर भी रुकने का नाम नहीं लेते..बैचेनी डसती है, अकेलापन खाने को दौड़ता है, तब भी दूसरों की फिक्र करना नहीं छोड़ते..बार-बार सताए जाते हो, बार-बार रुलाए जाते हो, लेकिन सिसकियों को दबाए, छलनी दिल से भी मुस्कुरा देते हो.. क्या हो? किस मिट्टी के बने हो? ना टूटना जानते हो..ना रुकना..बस चलते ही जाते हो..देखो ना, चलते-चलते कितना सफर तय कर लिया है..कितना मुश्किल था इतनी सारी कठिनाइयों को पार करते हुए यहां तक पहुंचना, लेकिन फिर भी आ गए हो.. जब यहां तक आने की ताकत रखते हो, तो आगे भी जा सकते हो..ये हिम्मत..ये हौसला..जो अब तक दिखाया है..उसे कम नहीं होने देना..इसी जज़्बे ने हमें अभी तक ज़िंदा रखा है..अब यही जज़्बा हमें आगे बढ़ाएगा..भले ही, अभी तक हम कुछ खास नहीं कर पाए हों, लेकिन अब ज़रूर कर लेंगे..क्योंकि अब हमें अपना साथ मिल गया है..हमने उस उजाले को देख लिया है जो हमारे अंदर और आसपास है..यही उजाला हमारी राहें रोशन करेगा..बस, पूरे ईमान (Faith) से कदम बढ़ाते रहना..
Let's bring out the Hero in you..