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Showing posts from July, 2016

जीने का सलीका

ये रात भले ही आंसुओं से भीगी थी लेकिन इसकी सुबह गुलाबी होगी..ये दिन भले ही धक्के खाते बीता लेकिन इसकी रात सुकून भरी होगी..ये उम्मीद कभी टूटे नहीं..ये हौसला कभी छूटे नहीं..क्योंकि जन्म पर तो हमारा बस नहीं था लेकिन जीने का सलीका ज़रूर हमारे हाथ में है..ये हमें तय करना है कि हमें रोते-कलपते हुए अपनी ज़िंदगी बितानी है या फिर एक हीरो की तरह हर गम, हर दर्द में हंसते-मुस्कुराते हुए जीना है..जिस दिन हम ये तय कर लेंगे..उस दिन से सुख और दुख को देखने का हमारा नज़रिया बदल जाएगा..फिर मुश्किलें उम्र भर के आंसू नहीं, ज़िंदगी भर की सीख देंगी..और तब हम किस्मत को कोसने के बजाए कुछ कर दिखाने और आगे बढ़ने के सपने देखेंगे.. +anshupriya prasad

लाडो ने जब पहनी साड़ी

                                                       घूंघट में इठलाए गुड़िया रानी..

'I believe I can fly'

अगर आप सोचने, समझने और चुनाव करने के काबिल हैं तो आप अपने हालात बदलने की भी क्षमता रखते हैं..लेकिन अगर हम अपनी बेहतरी की दिशा में लगातार कोशिश नहीं करते और जैसा चल रहा है वैसा चलने देते हैं तो अपनी बदहाली के लिए भी हम खुद ही ज़िम्मेदार होंगे..क्योंकि जितने भी लोग फर्श से अर्श तक पहुंचते हैं..उनके अंदर एक जुनून होता है..अपने आपको साबित करने का..ऐसे लोग बड़ी से बड़ी कठिनाई से भी हताश नहीं होते..उन्हे तो बस अर्जुन की तरह सिर्फ मछली की आंख दिखाई देती है जिसका निशाना उन्हे लगाना है..तो जब कुछ लोग अपने सपनो के पंख फैलाकर आसमान छू सकते हैं तो हम क्यों ज़मीन पर फड़फड़ाते रह जाएं..चलो, एक बार उड़ने की कोशिश तो करें.. +anshupriya prasad  

बारिश का लुत्फ़

जब एक बादशाह का बारिश में नहाने का मन होता है..तो साजो सामान जुट ही जाता है...

उम्मीदों का सूरज

                                       बहुत रो लिया..बहुत सो लिया..                                        अब नींद से जगी हूं मैं..अब दर्द से उबरी हूं मैं..                                        अब ना रुकना है..ना थकना है..बस चलते ही जाना है..                               ...

ईद मुबारक

तुम जियो नफ़रत में अपनी, मुझे मेरे दिल की शांति मुबारक!..तुम जिन लोगों को देखकर रोज़ अपना खून जलाते हो, मैं उन्हीं लोगों में थोड़ी सी अच्छाई ढूंढ लूंगी..तुम धर्म की आड़ में इंसानियत का गला का घोंटते रहो, हम इंसानियत को ही अपना धर्म मानेंगे..जियो तो ऐसे जियो कि खुदा को भी अपने बंदों पर नाज़ हो..नफ़रत से तो घर के चिराग सिर्फ बुझे हैं, कभी जले नहीं..अंधेरों से परे पाक चांद की रोशनी में आप सभी को ईद मुबारक..   +anshupriya prasad  

चलो मुस्कुराने की वजह ढूंढे

                                                   ज़िंदगी की दौड़ में,                                                    तज़ुर्बा कच्चा ही रह गया..                                                    हम सीख न पाए 'फरेब'      ...