प्रिय पापा, मुझे तुम रोज़ याद आते हो, मैं तुम्हें रोज़ याद करता हूँ.. तुम्हीं ने कहा था यहाँ से जो जाता है, वो वहाँ चला जाता है तारों में , एक तारा बन जाता है, अब ये बात मैं जानता हूँ कि ग़लत है पर मानता नहीं कि ग़लत है, मुझे आसमां के हर तारे से बात करना अच्छा लगता है... क्यूंकि उनमें छुपा मेरा बचपन लुका छुपी खेलता है, अपने आप को कभी छुपाता /कभी ढूंढता है/ और गाहे ब गाहे पा भी लेता है/ उस वक़्त जब किसी तारे में तुम दिखाई दे जाते हो/ तुम्हें इस तरह पकड़ लेना बहुत अच्छा लगता है/ तुम से लिपट जाना अच्छा लगता है/ क्यूंकि ये आगोशी रूहानी होती है/ जिस्मानी नहीं कि तुम बस यूँ ही चले जाओगे और/ मैं वेदों की , शास्त्रों की ऋचाएं सुनता बिलखता तुम्हें पञ्च तत्व में विलीन कर आऊँगा / यूँ अचानक रातों रात राजकुमार से राजा बन जाऊंगा/ काँटों वाले ताज से मस्तक सजाऊँगा/ और बच्चे से बड़ा बन जाऊंगा/ हर बार तुम मेरा बचपन नहीं छीन पाओगे / मैं तुम्हें याद करता रहूँगा और तुम ये वादा करों कि तुम मुझे याद आते रहोगे / क्यूंकि मुझे ये झुठलाना अच्छा लगता है, जो किसी ने