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Showing posts from January, 2017

और आंच डालो..

जिसने बार-बार मज़ाक उड़ाया और तानों के नश्तर चुभोए..उसने कुछ कर दिखाने की ज़िद दी..जिसने हर बार भरोसा तोड़ा और कभी मदद नहीं की..उसने खुद पर, खुदा पर यकीन करना सिखाया..जिसने छोटी-छोटी चीजों के लिए रुलाया और पग-पग पर रोड़े अटकाए..उसने मुश्किलों से निपटने का हौसला दिया..तो आओ..और आंच डालो..और जलाओ..अब ना तो तड़प है और ना ही घुटन है..क्योंकि हमने तो तप-तप कर निखरने की ठान ली है..  +anshupriya prasad  

हिम्मत तो खुद ही करनी पड़ेगी..

हमें लगता है कि हमारे हालात खराब हैं इसलिए हम आगे नहीं बढ़ पाते..लेकिन हकीकत ये है कि हमारी अपनी सोच हमें आगे नहीं बढ़ने देती..जब भी हम कुछ नया और बेहतर करना चाहते हैं तो हमारा दिमाग मुश्किलों और नाकामयाबी का ऐसा ताना-बाना बुनता है कि हम ये सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि ये तो हमारी किस्मत में ही नहीं है..बेकार है कोशिश करना..लेकिन सच तो ये है कि जो अपनी मदद खुद नहीं करता..उसकी मदद तो खुदा भी नहीं कर सकते..वैसे भी कोई और तो आएगा नहीं ज़िंदगी संवारने..हिम्मत तो खुद ही करनी पड़ेगी..कदम भी खुद ही बढ़ाने पड़ेंगे..तभी तो मंज़िलों का फासला तय होगा.. +anshupriya prasad  

ज़िंदा हैं हम..

सौ बार गिरो तो सौ बार उठो..हज़ार बार आंसू बहें तो हज़ार बार पोंछो..क्योंकि ज़िंदगी है तो मुश्किलें हैं..और मुश्किलों से लड़ने का हौसला है तो ज़िंदा हैं हम..सूरज जैसा शक्तिमान भी सिर्फ इसलिए फलक पर है क्योंकि वो हर रोज़ अंधेरे से लड़ता है..चंद्रमा को भी अपने वर्चस्व की जंग लगातार लड़नी पड़ती है..तब जाकर पूनम का चांद नसीब होता है..तो फिर हताश क्यों होना..जब तक जूझोगे नहीं तब तक अपनी अहमियत कैसे साबित करोगे... +anshupriya prasad  

हर नारी अपने आप में संपूर्ण है..

राम के बिना सीता अधूरी नहीं..कान्हा के भुला देने के बावजूद भी राधा का अस्तित्व है..क्योंकि राधा वो है जिसने साक्षात ईश्वर को प्यार करना सिखाया..और सीता ने अगर मर्यादा का पालन नहीं किया होता तो राम कभी मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं कहलाते..सीता और राधा दोनों जानती थीं कि हर नारी अपने आप में संपूर्ण (Complete) है..नाज़ुक दिल और बेपनाह इमोशन्स, उसकी ताकत हैं..कमज़ोरी नहीं..इसलिए ना तो कभी राधा ने द्वारका तक श्री कृष्ण का पीछा किया..और ना ही कभी सीता ने राजा राम के राजपाट की तरफ पलट कर देखा..इसलिए आत्म सम्मान (Dignity) और शालीनता (Grace) से जीना सीखो..फिर चाहें सामने भगवान ही क्यों ना खड़े हों..  +anshupriya prasad