Skip to main content

Posts

Showing posts from 2020

चलो इतिहास बदलते हैं..

कोरोना की साजिश है कि 2020 को उसके नाम से जाना जाए..काफी हद तक उसकी साजिश पूरी होती भी दिखाई दे रही है..लेकिन, इस साल को खत्म होने में अभी सवा महीना बाकी है..तो क्यों ना हम हर दिन, कुछ ऐसे जिएं कि हर लम्हा यादगार बन जाए..फिर जब भी हम, 2020 को पीछे मुड़कर देखें तो हमें कोरोना नहीं, अपने खूबसूरत लम्हे याद आएं..

सिर्फ फैन बनकर मत रहना..

  क्या आप जानते हैं कि हम किसी सेलिब्रिटी या मशहूर हस्ती को क्यों पसंद करते हैं..क्योंकि वो एक आईने (mirror) की तरह होते हैं, जो हमें, हमारा ही कल (Future self) दिखाते हैं..वो हमारा ही बेहतर रूप (Better version) हैं..जो काम, हम कुछ समय बाद करने वाले हैं, वो हमें पहले ही कर के दिखा देते हैं..यही वजह है कि हम बार-बार उनकी तरफ आकर्षित (Attract) होते रहते हैं..उनके हुनर, उनकी बातों और उनके अंदाज़ को, हम जितना पसंद करते हैं, उतना ही हमारे मन में उनकी तरह बनने..या फिर कामयाब होने की चाहत और उम्मीद बढ़ती चली जाती है..लेकिन आत्मविश्वास (Confidence) की कमी की वजह से, हम ये बात स्वीकारने (Acceptance) से बचते हैं.. हमारे अंदर भी वो सारी काबलियत है जो उनके अंदर है..इसलिए हम भी वो सब कुछ हासिल कर सकते हैं, जो उनके पास है..जाने-अनजाने, हम उन्ही लोगों को पसंद करते हैंं जिनसे हमारी योग्यता मेल खाती है..फर्क सिर्फ इतना है कि उन्होने अपनी क्षमता (Ability) को निखार लिया है और हमने अभी ठीक से शुरुआत भी नहीं की है..किसी भी काम को, अगर कोई एक इंसान कर सकता है तो इसका मतलब है कि वो हमें ये बता रहा है कि उस क

A Toast to Happiness

अब वो समय आ गया है जब दर्द के हर रिश्ते को खुशियों में बदल दिया जाए.. कोशिश करेंगे तो हो जाएगा..सिर्फ 21 दिनों की ही तो बात है.. It's time to change the bond of pain into the bond of happiness.. If I falter, you remind me..If you falter,  I'll remind you.. Let's  challenge  o urselves for next 21 days..and BE HAPPY for life..

Didier -A true story of Redemption, Resilience and Hope..

  कोलंबिया के रहने वाले डीडिअर की सच्ची कहानी डीडिअर, कोलंबिया के  Medellín  शहर में रहता था..1991 में ये शहर, दुनिया के सबसे खतरनाक शहर के नाम से कुख्यात था..डीडिअर के साथ भी वही हुआ, जो ऐसे खतरनाक शहर में किसी के साथ भी हो सकता था..लेकिन फिर डीडिअर ने ऐसा क्या किया?..क्यों उसके चर्चे पूरी दुनिया में होने लगे? Didier - A true story of Redemption, R esilience  and Hope.. Didier lived in Medellín, Colombia..in 1991, this city was considered the most dangerous city in the world..Didier's world was torn apart, when he was only 11..What happened with Didier? How Didier became the torchbearer for his fellow teenagers? Story Courtesy-Psychology Today One quote from  Tupac Shakur

जब भी मन बुझने लगे..

 जब कोई बात ही नहीं थी..तो क्यों हुईं आंखें नम..क्यों उठी दिल में टीस..और क्यों छाई चेहरे पर उदासी..कुछ तो है..भले ही आसमान नहीं टूटा है..लेकिन दिल में, ज़रूर कुछ टूटा है.. जब भी मन बुझने लगे..और हौसले पस्त पड़ने लगें..तब मजबूती से खड़े रहना..दुख-तकलीफ पूरी ताकत से अपनी ओर खींचेगे..लेकिन, फौलादी इरादों के साथ डटे रहना..कितने भी आंसू निकलें..कितना भी दिल भारी हो..उस तरफ बिल्कुल नहीं जाना..क्योेंकि, हालात से लड़ाई तो बाद में होगी..पहले अपने मन से तो निपट लें.. वो कहते हैं ना 'मन के हारे, हार है..और मन के जीते, जीत'..इसलिए जब भी उदासी छाए तो अपना ध्यान कहीं और लगा लेना..आसान नहीं होगा ऐसा करना..लेकिन, अगर हम लगातार 21 दिनों तक, एक पल के लिए भी, उदासी को अपने पास नहीं फटकने देंगे..तो दर्द का चक्रव्यूह, अपने आप ही टूट जाएगा.. अब देखो ना..कोरोना ने पहले ही हम सबकी ज़िंदगी उलट-पलट दी है..ऐसे में अगर मन भी हार गया, तो जीना बहुत मुश्किल हो जाएगा..इसलिए खुश रहें..और हौसला बनाए रखें..सूरज में अगर ग्रहण लग भी जाए, तो क्या गम है?..मन के उजियारे ही काफी हैं..बाहर के अंधियारे मिटाने के लिए..

अपने आप से, खुद को कोई कैसे बचाए?

क्या आपने कभी, अपने आपको महसूस किया है..कितना खूबसूरत है वो, जो हमारे अंदर है..बड़ा ही नेकदिल और प्यारा..लेकिन, हम हैं कि दिन-रात इसे सताते रहते हैं..कभी रोकर..कभी चिढ़कर..कभी तनाव (tension) से..तो कभी उल्टी-सीधी बातें बोलकर.. अरे, इतना बुरा तो हम अपने दुश्मन के साथ भी नहीं करते..तो फिर अपने आप को इतनी सजा क्यों देते हैं?..हमें तो पता भी नहीं चलता..लेकिन, जब हम रोते हैं तो हमारे एक-एक आंसू से वो छलनी हो जाता है..जब हम चिंता (worry) करते हैं तो उसका दम घुटता है..और जब हम खुद को कोसते हैं, तो वो सहम कर, मन के किसी कोने में दुबक जाता है..वो क्या करे?..कहां जाए?..अपने आप से, खुद को कोई कैसे बचाए? हम ही तो हैं, अपने सच्चे साथी..जन्म से लेकर मृत्यु तक..हर दिन, हर पल, हर दुख-सुख में..हमेशा अपने साथ रहने वाले..इसलिए ख्याल रखो अपना..रोना तो बिल्कुल भी नहीं..चिंता (worry) नहीं करना..और गुस्सा भी नहीं करना..जब तक हम खुद, अपने आप से अच्छे से पेश नहीं आएंगे..तब तक दुनिया से कैसे उम्मीद करेंगे कि वो हमारे साथ अच्छा व्यवहार करे?..इसलिए आप जैसे भी हो..अपने आपको पसंद करना सीखो..

समय के खजाने में क्या है?

अगर तारीफ ना मिले, तो क्या हम खूबसूरत नहीं? अगर प्यार ना  मिले, तो क्या हम किसी काबिल नहीं? क्या योग्यता साबित करने के लिए, बड़े काम करना ज़रूरी है? क्या कम पैसे कमाने वाले, साधारण से दिखने वालों की कोई हैसियत नहीं? ऐसा तब होता है जब हम अपनी तुलना दूसरों से करते हैं..जब हम दूसरों की तरह जीना चाहते हैं..दूसरों की तरह बनना चाहते हैं..दूसरों की तरह दिखना चाहते हैं..तब, हमें अपने अंदर और अपनी ज़िंदगी में कमियां ही कमियां नज़र आने लगती हैं..और हमें शिकायत करने की सैकड़ों वजह मिल जाती हैं.. लेकिन, जब हम अपना सारा ध्यान खुद को बेहतर बनाने में लगाते हैं..तब हमें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि दूसरों के पास क्या है और क्या नहीं..इसी के साथ वो पीड़ा और बैचेनी भी खत्म हो जाती है..जो हम दूसरों की वजह से अपने आपको देते हैं..इसलिए, किसी भी सूरत में, अपनी तुलना, किसी और से नहीं करना..आज हमारे पास जो भी है, वो बहुत अच्छा है..बहुत से लोगों के पास, इतना भी नहीं होता.. कोरोना ने हम सब की ज़िंदगी से बहुत कुछ छीन लिया है..इस मुश्किल समय में हमारी लगन और हमारे करीबी ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी हैं..ह

जब जान ही नहीं रहेगी तो क्या करेंगे इनका?

नहीं चाहिए आपका ज्ञान, आपकी नफरत, आपकी मौका परस्ती..जब जान ही नहीं रहेगी तो क्या करेंगे इनका? ये जो मुर्झाए हुए, डरे-सहमे चेहरें हैं..इन्हे ज़रूरत है थोड़ी सी करुणा, सहयोग और हौसला बढ़ाने वाले चार शब्दों की.. हमें क्या मिला? क्या नहीं? ये सोचने का समय, चला गया है..अब हमें ये सोचना है कि हम अपने समाज, अपने देश और दुनिया के लिए क्या कर सकते हैं? लेकिन, अगर आप दूसरों की मदद नहीं कर सकते, तो भी कोई बात नहीं..आपका अच्छा सोचना और बोलना ही काफी है.. कोरोना के खिलाफ ये लड़ाई लंबी है..सावधानी बरतिए और एक दूसरे का हौसला बढ़ाते रहिए..

'कल' बदलना है तो पहले 'आज' बदलो..

दुख आने पर..परेशानियां होने पर..हमें जो काम, बिल्कुल नहीं करना चाहिए..हम वही, सबसे ज्यादा करते हैं..दुख में ना तो आंसू बहाने हैं और ना ही किसी को कोसना है..गुस्सा भी नहीं करना है और ना ही कुढ़-कुढ़ (Sulk) कर अपना खून जलाना है..'आज' को हम जितना ज्यादा बिगाड़ेंगे, 'कल' उतना ही ख़राब होता चला जाएगा..इसकी वजह ये है कि निराश होने से, गुस्सा करने से या गलत (Negative) सोचने और करने से, हमारा सारा समय और ताकत (Energy), इन्ही चीज़ों में खत्म हो जाती है..फिर, हम बेहतर चीज़ों पर ध्यान नहीं लगा पाते..और मुसीबतें बढ़ती ही चली जाती हैं..इसलिए, हालात चाहें जैसे हों, हमें अपनी ताकत को खोना नहीं है..बल्कि इसे तो और बढ़ाना है-अपनी तरक्की के लिए, अपनों की देखभाल के लिए और सेहतमंद रहने के लिए..ये पल जिसमें हम सांस ले रहे हैं, यही सबसे सही समय है, भविष्य (Future) संवारने के लिए ..इसलिए भटकना नहीं..सारा ध्यान लगाकर, कोशिश करते रहना..जो 'आज' मिल रहा है वो 'बीते हुए 'कल' की देन है..लेकिन इस पल यानी कि 'आज', हम जो भी सोचते, बोलते और करते हैं..उसकी सौगात हमें '