दुख आने पर..परेशानियां होने पर..हमें जो काम, बिल्कुल नहीं करना चाहिए..हम वही, सबसे ज्यादा करते हैं..दुख में ना तो आंसू बहाने हैं और ना ही किसी को कोसना है..गुस्सा भी नहीं करना है और ना ही कुढ़-कुढ़ (Sulk) कर अपना खून जलाना है..'आज' को हम जितना ज्यादा बिगाड़ेंगे, 'कल' उतना ही ख़राब होता चला जाएगा..इसकी वजह ये है कि निराश होने से, गुस्सा करने से या गलत (Negative) सोचने और करने से, हमारा सारा समय और ताकत (Energy), इन्ही चीज़ों में खत्म हो जाती है..फिर, हम बेहतर चीज़ों पर ध्यान नहीं लगा पाते..और मुसीबतें बढ़ती ही चली जाती हैं..इसलिए, हालात चाहें जैसे हों, हमें अपनी ताकत को खोना नहीं है..बल्कि इसे तो और बढ़ाना है-अपनी तरक्की के लिए, अपनों की देखभाल के लिए और सेहतमंद रहने के लिए..ये पल जिसमें हम सांस ले रहे हैं, यही सबसे सही समय है, भविष्य (Future) संवारने के लिए ..इसलिए भटकना नहीं..सारा ध्यान लगाकर, कोशिश करते रहना..जो 'आज' मिल रहा है वो 'बीते हुए 'कल' की देन है..लेकिन इस पल यानी कि 'आज', हम जो भी सोचते, बोलते और करते हैं..उसकी सौगात हमें '...