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मां होती भी है या नहीं..

गर्भ (womb) में पल रहे किसी भी बच्चे को नहीं पता होता कि मां क्या होती है..वो कौन है..कैसी है..है भी या नहीं..मां के अंदर और मां का ही हिस्सा होने के बावजूद वो मां के अस्तित्व से अनजान रहता है..जन्म के बाद जब बच्चे को मां की गोद मिलती है तब उसे ज़िंदगी की सबसे पहली मिठास का अहसास होता है..मां की ही तरह ईश्वर (Divine) भी हर पल, हर जगह हमारे साथ हैं..हम उन्ही के अंदर और उन्ही का हिस्सा हैं..लेकिन फिर भी उनके होने का सबूत मांगते हैं..और मंदिरों, मस्ज़िदों में उन्हें ढूंढते रहते हैं..लेकिन जो हर जगह मौजूद हैं..वो सिर्फ गीता, कुरान, बाइबिल में तो मिलेगें नहीं..उनकी मौजूदगी को तो बस महसूस किया जा सकता है.. +anshupriya prasad 

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हिम्मत रखेंगे तो हो जाएगा, असंभव नहीं है..

 जब ज़िंदगी उलटी दिशा में बहे..तो अड़ जाना, दोगुना जोश जगाना..जब सब कुछ बिगड़ता दिखाई दे तो अपने आप पर और अपने ईश्वर (Divine Energy) पर भरोसा, और बढ़ाना..क्योंकि जिस वक्त हम हिम्मत हारते हैं ना..उसी समय हमें सबसे ज्यादा हिम्मत रखने की आवश्यकता (Need) होती है.. आसान वक्त तो अपने आप ही कट जाता है..लेकिन मुश्किल समय में हमें ज़्यादा उम्मीद, ज़्यादा लगन और ज़्यादा विश्वास की ज़रूरत पड़ती है...यही वो समय है जब हमें ज़िद करनी है..अपना शौर्य, अपना दम-खम साबित करना है..अपने अंदर इतना विश्वास (Faith) जगाना है कि हमारे रोम-रोम को इस बात का यकीन हो जाए कि हमारे साथ जो भी होगा वो अच्छा ही होगा..ऐसा करने से ना सिर्फ हमारा मन शांत रहेगा बल्कि भविष्य को लेकर सारे डर भी खत्म हो जाएंगे..फिर हम जिस तरफ भी कोशिश करेंगे उसका नतीजा अच्छा ही होगा.. जब हम आज के  हालात से निपटना सीख लेंगे, उसमें खरे उतरेंगे..तभी तो एक बेहतर दुनिया के दरवाजे खुलेंगे..

दर्द भरा नूर..

मोहब्बत करने वाले रोज़ थोड़ा-थोड़ा मरा करते हैं..क्योंकि किसी और को अपना हिस्सा बनाने के लिए खुद को मिटाना पड़ता है..तभी दूसरे के लिए जगह बनती है..अपना वजूद जितना मिटेगा, उतना ही प्यार बढ़ता चला जाएगा..ज़रूरी नहीं है कि जितनी प्रीत आप कर सकते हो, उतनी वापस भी मिल जाए..क्योंकि प्रेम तो केवल वही निभा सकते हैं जिन्हें दर्द के नूर में तप-तप कर संवरना आता है..प्रेमी अगर मिल जाएं तो 'राधा-कृष्ण'..और ना मिल पाएं तो 'मीरा-कृष्ण'..

इस फिल्म में कोई टेक नहीं है..

हम सब अपनी-अपनी कहानी के हीरो हैं..जैसे सुपर हीरो की फिल्में होती हैं न? ठीक वैसे ही, हम भी अपनों के लिए मुसीबतों से जूझते रहते हैं..उनके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए बड़ी से बड़ी परेशानी मोल लेते हैं.. जिस तरह से फिल्म में हीरो को तरह-तरह की मुसीबतों से घेरा जाता है..उसे, उसकी क्षमता से ज्यादा परेशानियां दी जाती हैं..वैसे ही, हमारी ज़िंदगी भी मुसीबतों और परेशानियों से भरी हुई है..एक समस्या हल करते हैं तो दूसरी खड़ी हो जाती है..एक दुख से निकलते हैं तो दूसरा  पकड़ लेता है..और जब सब कुछ ठीक होने ही वाला होता है तो, विलेन की एंट्री (Entry) हो जाती है..या फिर नई चुनौती खड़ी हो जाती है.. लेकिन, इस सबके बावजूद, ज़िंदगी, बहुत खूबसूरत है..क्योंकि ये हमारी, अपनी कहानी है..सबसे अलग, सबसे प्यारी और सबसे रोमांचक..ये एक ऐसी अद्भुत (Marvellous) फिल्म है..जिसे अगर बड़े पर्दे पर रिलीज़ किया जाए..तो अब तक की सबसे हिट फिल्म साबित होगी..क्योंकि, इतना संघर्ष..इतनी हसरतें..इतने इमोशन (Emotion)..और कहां देखने को मिलेंगे?  इसलिए, अपनी ज़िंदगी की चुनौतियों का सामना एक सुपर स्टार की तरह करें..एक हीरो की तरह ये