किसी भी शख्स को देखकर ये अंदाजा़ लगाया जा सकता है कि 10 साल पहले वो कैसा था..अगर वो खुश है..तो इसका मतलब है कि पिछले कुछ समय से वो अपनी खुशियों के लिए कोशिश कर रहा है..अगर वो दुखी है तो इसके मायने हैं कि वो बिना सोचे-समझे बस जिए जा रहा है..क्योंकि हम आज जो भी करते हैं उसका असर अगले 5 से 10 सालों में दिखाई देने लगता है..इसलिए अभी से अपना लक्ष्य बनाएं कि अगले 10 साल बाद आप कैसी ज़िंदगी चाहते हैं..जो सोचा है उस पर डटे रहें.. मुश्किलें आने पर भी निराश ना हों..कुछ ही समय में इसका असर दिखाई देगा और हर रास्ता, मंज़िल की तरफ खुलने लगेगा.. +anshupriya prasad
अपने आप से बात करते समय, बेहद सावधानी बरतें..क्योंकि हमारा आगे आने वाला वक्त काफी हद तक, इस बात पर निर्भर करता है कि हम क्या सोचते हैं..या फिर खुद से कैसी बातें करते हैं..हमारे साथ कोई भी बात, होती तो एक बार है, लेकिन हम लगातार उसी के बारे में सोचते रहते हैं..और मन ही मन, उन्ही पलों को, हर समय जीते रहते हैं जिनसे हमें चोट पहुंचती है..बार-बार ऐसी बातों को याद करने से, हमारा दिल इतना छलनी हो जाता है कि सारा आत्मविश्वास, रिस-रिस कर बह जाता है..फिर हमें कोई भी काम करने में डर लगता है..भरोसा ही नहीं होता कि हम कुछ, कर भी पाएंगे या नहीं..तरह-तरह की आशंकाएं सताने लगती हैं..इन सबका नतीजा ये होता है कि अगर कोई अनहोनी, नहीं भी होने वाली होती है, तो वो होने लगती है..गलत बातें सोच-सोच कर, हम अपने ही दुर्भाग्य पर मोहर लगा देते हैं..इसलिए वही सोचो, जो आप भविष्य में होते हुए देखना चाहते हो..वैसे भी न्यौता, सुख को दिया जाता है..दुख को नहीं..तो फिर तैयारी भी खुशियों की ही करनी चाहिए..
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